Wednesday, December 20, 2017

निखरती है मुसीबतों से ही शख्सियत यारों.. जो चट्टान से ही ना उलझे वो झरना किस काम का..

निखरती है मुसीबतों से ही शख्सियत यारों.. जो चट्टान से ही ना उलझे वो झरना किस काम का.. http://ift.tt/1iuhaU7

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